मनोज सिंह द्वारा दायर प्राथमिकी झूठ का पुलिंदा, मंत्री बन्ना गुप्ता की शह पर दायर की गई प्राथमिकी 

 

जमशेदपुर : विधायक सरयू राय ने एक प्रेस वक्तव्य जारी कर कहा कि रांची के व्यक्ति मनोज सिंह द्वारा मेरे विरूद्ध अरगोड़ा थाना में दायर की गई प्राथमिकी झूठ का पुलिंदा है। साथ ही यह अर्धसत्य पर आधारित भी है। इसमें तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। यह प्राथमिकी खाद्य आपूर्ति मंत्री बन्ना गुप्ता की शह पर दायर की गई है। इस प्राथमिकी का उपयोग मंत्री बन्ना गुप्ता और कांग्रेस के पूर्व सांसद डॉ अजय कुमार प्रचार सामग्री के रूप में कर रहे हैं। जो बातें प्राथमिकी में कही गई हैं, वहीं बातें पूर्व में कई बार, कम से कम पांच बार विभिन्न फोरमों पर कही जा चुकी है और हर बार अखबारों में छपी भी है। वास्तव में यह विचलित मस्तिष्कों की फोरम हंटिंग है।

 

इस बारे में बिन्दुवार स्थिति स्पष्ट कर रहा हूं, जो निम्नवत है :-

 

1. मार्च 2021 में जमशेदपुर भाजपा के नेता अभय सिंह ने उपायुक्त कार्यालय के सामने यही आरोप मुझ पर लगाया। उनके द्वारा लगाये गये आरोप समाचारपत्रों में प्रकाशित भी हुए।

 

2. उसके बाद जमशेदपुर के भाजपा नेता देवेन्द्र सिंह ने नवम्बर 2022 में यही आरोप दोहराया और जो पुनः अखबारों में छपा।

 

3. इससे पूर्व जमशेदपुर जिला भाजपा का एक प्रतिनिधि मंडल 2 जुलाई 2021 को यही आरोप दुहराते हुए राज्यपाल महोदया को ज्ञापन सौंपा। इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व तत्कालीन जमशेदपुर भाजपा जिलाध्यक्ष गुंजन यादव ने किया। यह एक बार फिर अखबारों में छपा।

 

4. उसके बाद जमशेदपुर जिला भाजपा के महामंत्री राकेश सिंह ने इस आरोप को दुहराया और जो 04 जुलाई 2021 को अखबारों में छपा।

 

5. उसके बाद जमशेदपुर पूर्वी के टेल्को निवासी किसी जी. कुमार ने इसी आरोप को लेकर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को लिखा और जो अखबारों में छपा।

 

6. इसके कुछ दिनों बाद जमशेदपुर पूर्वी के गायत्री नगर, ग्वाला बस्ती निवासी विनय कुमार ने इन आरोपों को आधार बनाकर झारखण्ड उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की। जिसको उच्च न्यायालय ने खारिज करते हुए कहा कि यदि प्रमाण है तो आप एसीबी थाना में प्राथमिकी दर्ज किजिए। यह खबर भी अखबार में छपा।

 

7. इसके बाद विनय कुमार की ओर से रांची स्थित धुर्वा थाना में एक प्राथमिकी दर्ज कराई गई और जो अखबारों में छपी।

 

8. इसके बाद इस मामले को मंत्री बन्ना गुप्ता ने उठाया और यह खबर अखबारों में भी छपी।

 

9. और अब इसके बाद रांची के मनोज कुमार ने अरगोड़ा थाना में इन्हीं आरोपों को लेकर एक प्राथमिकी दर्ज कराया है और जो दो दिन पहले अखबारों में प्रमुखता से छपी है।

 

10. जिसके आधार पर मंत्री बन्ना गुप्ता और पूर्व सांसद डॉ अजय कुमार ने रविवार जमशेदपुर में अलग-अलग संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर पुनः इन आरोपों को दोहराया। उनके बयान ने सोमवार के समाचार पत्रों में सुर्खियां भी बटोरी।

 

जिससे स्पष्ट है कि 2021 से आज तक इस मामले को लेकर अलग-अलग लोग बयानबाजी कर अखबारों की सुर्खियां बटोर रहे हैं और इसे फोरम हंटिंग कहा जा सकता है। स्मरणीय है कि अखबारों में खबर छपी है कि एसीबी ने मुझपर पीई दर्ज करने का निर्देश सरकार से मांगा है। मैंने तुरंत कहा कि एसीबी पीई दर्ज करने में समय न गंवाये। बल्कि मुझपर सीधा केस दर्ज करें। यह समाचार 6 नवम्बर 2022 को अखबारों में छपा। इस बारे में संबंधित तथ्य निकालकर संलग्न कर रहा हूं और जो आहार पत्रिका प्रकाशन के संबंध में संचिकाओं की टिप्पणियों पर आधारित है। विदित हो कि आहार पत्रिका के प्रकाशक एवं मुद्रक का चयन निविदा के आधार पर हुआ और इसी दर पर उसको भुगतान भी किया गया। मुद्रक को आहार पत्रिका निर्धारित संख्या में सभी जिला के जिला आपूर्ति पदाधिकारी के कार्यालय में जमा करना था। जिसे जिला आपूर्ति कार्यालय द्वारा राशन दुकानों तक पहुंचाना था। खाद्य निदेशक ने सभी जिलों से विवरण मांगा और सभी जिलों ने कहा कि उन्हें निर्धारित संख्या में आहार पत्रिका की प्रतियां प्राप्त हई हैं और यह विवरण संचिका में भी उपलब्ध है। परन्तु खाद्य आपूर्ति मंत्री को इसमें घोटाला नजर आ रहा है। वे मंत्री है, उनके पास सारे तथ्य उपलब्ध है। वे मेरे द्वारा मुहैया कराये जा रहे तथ्यों का वस्तुपरक खंडन कर दें। मेरे उपर प्राथमिकी दर्ज कराकर बन्ना गुप्ता इसे दुष्प्रचार का माध्यम बना रहे हैं। प्राथमिकी में दर्ज विवरण झूठ का पुलिंदा है और इसमें तथ्यों को तोड़-मरोड़कर आधा-अधूरा प्रस्तुत किया गया है। प्राथमिकी दायर करने वाले मनोज सिंह का आचरण रांची में सर्वविदित है। उन्होंने आपराधिक कृत्य में जेल यात्राएं भी की है। इनका संबंध रांची के एक बड़े आपराधिक गिरोह से रहा है। ये फिलहाल कांग्रेस के लिए काम कर रहे हैं। मैंने पहले कई बार दुहराया है और आज भी दुहरा रहा हूं कि मंत्री बन्ना गुप्ता संचिका के प्रासंगिक पन्नों को सार्वजनिक करें। पूर्व में जिन लोगों ने आरोप लगाया है, वे किसी भी फोरम में इसे साबित नहीं कर सके। बन्ना गुप्ता ने संचिका में मेरे उपर प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश विभागीय सचिव को दिया। जिसे सचिव ने स्वीकार नहीं किया और मामले पर कानूनी राय जानने के लिए विधि विभाग को भेज दिया। इससे खार खाकर बन्ना गुप्ता ने मनोज सिंह जैसे व्यक्ति से मेरे उपर प्राथमिकी दर्ज कराया और वे इस प्राथमिकी को दुष्प्रचार का साधन बना रहे है। मेरी चुनौती है कि यदि मेरे ऊपर कोई आरोप सही है तो वे स्वयं सामने आकर संबंधित संचिका को सार्वजनिक करें। मेरे ऊपर वार करने के लिए किसी शिखंडी का इस्तेमाल न करें। मैंने उनके ऊपर स्वास्थ्य विभाग में कई घोटालों का आरोप लगाया है। पर्याप्त सबूत देने के बावजूद मुख्यमंत्री इसपर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग की संचिका से सबूतों को निकालने के लिए मेरे ऊपर पहले ही प्राथमिकी दर्ज कराया है। वे इसका खंडन नहीं कर रहे है कि मैंने जो दस्तावेज स्वास्थ्य विभाग की संचिका से निकालकर सार्वजनिक किया है, वे गलत हैं। परन्तु उनको एतराज इस बात पर है कि मैंने उसे कैसे प्राप्त किया और उन्होंने इसके लिए मेरे ऊपर मुकदमा दायर कर दिया। यानी स्वास्थ्य विभाग में घोटाला करना जायज है और उस घोटाला का पर्दाफाश करना नाजायज है। इसी तरह दवा खरीद घोटाला में भी मैंने पर्याप्त सबूत दिया है। मगर राज्य के मुख्यमंत्री बन्ना गुप्ता के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। मैं बन्ना गुप्ता को चुनौती देता हूं कि मैंने जो भी आरोप उन पर लगायें हैं, उन आरोपों को वे गलत साबित करें।

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